सीवरेज
सीवरेज भौतिक बुनियादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण तत्व है जो किसी भी बस्ती की पर्यावरणीय स्थिति को निर्धारित करता है। इसके लिए सूक्ष्म योजना, विकास और प्रबंधन की आवश्यकता होती है। कुशल उपचार के साथ उपयुक्त सीवेज कैरेज सिस्टम का विकास प्रमुख तत्व है, जो संतुलित और सामज्यसयपूर्ण विकास की सुविधा के लिए एक पूर्वापेक्षा के रूप मे कार्य करती है। मौजूदा अपर्याप्त प्रणालियों उपचार सुविधाओ के विस्तार के साथ – साथ छोटी और सीमांत बस्तियो और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अपशिष्ट उपचार की नई तकनीकों को अपनाना विशेष प्रयासो की मांग करते हुए एक विशाल कार्य प्रस्तुत करता है।
क्षेत्रीय योजना-2001 मे, यह प्रस्तावित किया गया है कि डीएमए और प्राथमिकता वाले शहरों को जलस्त्रोतों मे या भूमि पर या सिंचाई के लिए उपयोग किए जाने से पूर्व सीवेज उपचार किया जाना चाहिए। अन्य शहर जहां स्थलाकृति और संसाधनो की कमी के कारण उचित प्रणाली प्रदान करना संभव नहीं है, कम लागत वाले स्वच्छ्ता उपायों को अपनाया जा सकता है। जिन्हे बाद मे नियमित सीवेज सिस्टम द्वारा प्रस्थापित किया जा सकता है। भारतीय मानक ब्यूरो (बी आई एस) और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित प्रदूषण स्तर को अनुमेय सीमा तक लाने के लिए सीवेज का उपचार किया जाना आवश्यक है। जहाँ तक संभव हो, जिन क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा 75 सेमी से अधिक है, वहाँ सीवेज और तूफानी जल के लिए अलग प्रणाली की सिफ़ारिश की जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पाइप से जलापूर्ति की व्यवस्था है, उपचार सुविधाओ के साथ सीवरेज प्रणाली प्रदान की जानी चाहिए। गावों मे हैंडपम्प आधारित पानी की आपूर्ति के साथ सेप्टिक टेंक और सौक पिट के साथ सैनिटरी शौचालय जैसे कम लागत वाले स्वच्छता उपाय प्रदान किए जाने चाहिए।
क्षेत्रीय योजना-2001 की समीक्षा वर्ष 1999 मे की गयी थी जिसमे यह देखा गया था कि एनसीआर के केवल 20% शहरों में आंशिक सीवरेज़ प्रणाली उपलब्ध थी जबकि ग्रामीण क्षेत्रों मे ऐसी सुविधाएँ नदारद थी। पिछले दशक के बाद से, सीवेज उपचार संयत्रों की स्थिति मे कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। नदियों (मुख्य रूप से यमुना) और विभिन्न मौसमी धाराओं को नालो मे परिवर्तित कर दिया गया है जो प्रदूषित करने वाले अनुपयोगी गंदे पानी को निचले इलाको मे ले जाती है। कुछ नव विकसित शहरी क्षेत्रों जैसे फ़रीदाबाद, गुड़गाँव (हरियाणा में) और नोएडा (यूपी मे) ने विकास प्राधिकारणों द्वारा प्रदान किए गए सीवेज उपचार संयत्र स्थापित किए गए थे लेकिन कई कारणों से यह कार्यात्मक नहीं है।
मौजूदा स्थिति और मुद्दे :
हाल के अध्ययनों से पता चला है कि वर्तमान मे दिल्ली को छोड़कर जहां 80% आबादी के पास सीवरेज़ सुविधाएं उपलब्ध है और 1500 एमएलडी अपशिष्ट का उपचार किया जा रहा है, यूपी मे सीवरेज कवर 30-70% तक है और हरियाणा मे 60-80% केवल डीएमए शहरों में सीएनसीआर शहरों मे से फ़रीदाबाद, गुड़गाँव गाज़ियाबाद और नोएडा मे उपचार सुविधाएं उपलब्ध है। उ०प्र० उपक्षेत्र या राजस्थान उपक्षेत्र के किसी भी प्राथमिकता वाले शहर मे सीवरेज उपचार की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
विभिन्न प्राथमिकता वाले शहरों मे सीवरेज प्रणाली की उपलब्धता हरियाणा मे 40-70% राजस्थान मे 3-5% और उ० प्र० मे 0-30% तक है। वर्ष 2000 मे एनसीआर के कुछ कस्बो मे सीवरेज प्रणाली और उपचार सुविधाओं की उपलब्धता की स्थिति आरपी-2001 मे अनुलग्ंक 9/1 मे दी गयी है। ग्रामीण क्षेत्रों मे स्वच्छता की स्थिति निर्धारित करने के लिए पर्याप्त डेटाबेस उपलब्ध नहीं है। हालांकि कुल मिलाकर तस्वीर निराशाजनक है। एनसीआर मे जल जनित रोग की उच्च घटनाएँ इस क्षेत्र मे स्वच्छता की खराब स्थिति का संकेत देती है।
प्रस्ताव (आरपी – 2021)
रा० रा० क्षेत्र मे समग्र स्थिति मे सुधार के लिए 2021 के परिप्रेषेय मे सामंजस्य पूर्ण और संतुलित विकास के लिए निम्नलिखित नीतियो और रणनीतियों के प्रस्ताव है :
• सीवरेज प्रणाली और जल उपचार के लिए मास्टर प्लान तैयार करना
• सीवरेज और उसके उपचार के लिए सीपीईईओ मेनुअल मे दिए गए मानदंडो और मानको का पालन किया जाना चाहिए।
• नगरो में मौजूदा सीवरेज प्रणाली की खराब स्थिति का पुन निर्माण किया जाना चाहिए तथा जहां भी यह सुविधा नहीं है या निम्न स्तर की है वहाँ इसकी वृद्धि की योजनाएँ शुरू की जानी चाहिए। चूँकि अधिकांश टाउनशिप मे उपचार सुविधाएं नगण्य है, इसलिए आवश्यकता के अनुसार उन्हे प्रदान करने पर भी ज़ोर दिया जाना चाहिए।
पालन और अनुरक्षण
आधुनिक तकनीक/उपकरणो का प्रयोग करते हुए स्थानीय निकायो द्वारा संचालन और रख रखाव को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
दोहरी एजेंसियों की नीति
कुछ घटक राज्यों को इन सुविधायों के निर्माण संचालन और रख रखाव के लिए दोहरी एजेंसियों की नीति को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। बेहतर पर्यावरण प्रबंधन के लिए और सिस्टम के ओवरलोडिंग अंडर-लोडिंग से बचने व केन्द्रित जवाबदेही के लिए सीवरेज सिस्टम और सतही नालियो का समग्र प्रबंधन इसकी अपशिष्ट सुधार सुविधाओ के साथ किसी दिये गए शहर मे एकल एजेंसी के पास होना चाहिए।
सीवरेज योजनाओ के लिए भूमि का आवंटन
कस्बो और शहरों की मास्टर/विकास योजनाओ मे सीवरेज योजनाओ के उपयुक्त स्थानो पर भूमि आवंटन होना चाहिए.
- मानको के अनुसार सड़को के किनारे सीवर बिछाने की पर्याप्त जगह
- पम्प किए जाने वाले सीवेज की मात्रा के अनुसार, पपिंग स्टेशन के लिए भूमि का आवंटन किया जाना चाहिए।
- प्रत्येक स्टेशन के लिए 0.25 हेक्टेयर क्षेत्र आरक्षित किया जाना चाहिए।
- शहर/क्षेत्र के आकार को ध्यान में रखते हुए अपनाई गई तकनीक के अनुसार सीवेज प्लांट के लिए 0.2-1.0 हेक्टेयर/एमएल भूमि आरक्षित की जानी चाहिए।
- गैर पेयजल उपयोग के लिए अपशिष्ट जल का पुनर्चक्रण
गैर पेयजल उपयोग के लिए अपशिष्ट जल का पुनर्चक्रण
सभी नए विकास क्षेत्रों में दो वितरण लाइने होनी चाहिए। एक पेयजल के लिए और दूसरी पुनः उपयोग के लिए उपचारित अपशिष्ट गैर पेयजल के लिए। बड़े होटलो की औद्यौगिक इकाइयों, बड़े भवनो/संस्थानो की सेंट्रल एयर कंडिशनिंग, बड़े प्रतिष्ठानो, पार्को, हरित क्षेत्रों की सिंचाई और अन्य गैर पेय मांगो की पूर्ति के लिए उपचारित पुनः नवीनीकरण जल प्रयोग मे लाया जाना चाहिए ।
जन जागरूकता का निर्माण
पानी की बचत, अपशिष्ट को कम करने और गैर पीने के उद्देश्यों के लिए उपचारित अपशिष्ट जल के उपयोग के संबंध मे जन संचार माध्यमों से जन जागरण अनिवार्य है।
टेरिफ़ के लिए वाणिज्यक दृष्टिकोण
जीवन की गुणवत्ता मे सुधार की बढ़ती आवश्यकता के साथ, अकेले सरकार के पास सीवरेज प्रणाली और उपचार सुविधाओं मे वृद्धि के लिए सब्सिडी जारी रखने की वित्तीय क्षमता नहीं है। राजस्व सृजन के लिए स्थानीय निकायों द्वारा वाणिज्यक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।
संस्थागत क्षमता निर्माण
प्रणाली के कुशल संचालन और रखरखाव के लिए कस्बो मे सीवरेज सिस्टम और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के प्रबंधन के लिए संस्थागत क्षमता निर्माण के उपाय किए जाने चाहिए। इसके साथ ही इसे प्रणाली की आत्म स्थिरता मे सुधार की दिशा मे योगदान देना चाहिए।
एनसीआर में जल क्षेत्र के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया नीचे दिए गए दस्तावेज़ देखें:
सीवरेज पर क्षेत्रीय योजना दस्तावेज
सीवरेज पर क्षेत्रीय योजना कार्य योजना
संबंधित मंत्रालय की वेबसाइटों को देखने के लिए, कृपया पर क्लिक करें। http://www.mohfw.nic.in |