योजना

क्षेत्रीय योजना : तैयार करना और अंतिम रुप देना

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड अधिनियम, 1985 के प्रावधानों के अनुसार, बोर्ड के लिए क्षेत्रीय योजना तैयार करना अपेक्षित है। क्षेत्रीय योजना को अंतिम रुप से तैयार करने से पूर्व, बोर्ड क्षेत्रीय योजना का मसौदा योजना समिति के सहयोग से तैयार करेगा और इसका प्रकाशन कराने के साथ ही उसकी एक प्रति निरीक्षण के लिए उपलब्ध कराएगा और एक सूचना का प्रकाशन निर्धारित तरीके से कराएगा जिसके द्वारा नोटिस में विनिर्दिष्ट की जाने वाली तारीख से पूर्व क्षेत्रीय योजना के मसौदे के संबंध में किसी भी व्यक्ति से आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे।
बोर्ड स्थानीय प्राधिकरणों, जिसकी स्थानीय सीमाओं के भीतर क्षेत्रीय योजना के साथ लगने वाली कोई भूमि स्थित है, को क्षेत्रीय योजना के मसौदे के संबंध में, किसी भी प्रकार का अभ्यावेदन करने के लिए, उपयुक्त अवसर प्रदान करेगा। सभी आपत्तियों, सुझावों और अभ्यावेदनों, जो बोर्ड को प्राप्त होते हैं, पर विचार करने के पश्चात, बोर्ड क्षेत्रीय योजना को अंतिम रुप से तैयार करेगा।
क्षेत्रीय योजना को अंतिम रुप से तैयार करने के पश्चात, बोर्ड क्षेत्रीय एक सूचना प्रकाशित कराएगा, जिसमें यह उल्लेख होगा कि क्षेत्रीय योजना उसके द्वारा अंतिम रुप से तैयार कर ली गई है और उन स्थानों का वर्णन किया जाएगा, जहां उपयुक्त समय पर क्षेत्रीय योजना की एक प्रति का निरीक्षण किया जा सकता है, और उक्त सूचना के पहली बार प्रकाशित होने की तारीख के बाद क्षेत्रीय योजना प्रचालन में आ जाएगी।
नवम्बर, 2015 तक बोर्ड द्वारा तैयार की गई क्षेत्रीय योजना निम्नानुसार है:

1) क्षेत्रीय योजना – 2001, 1989 में अधिसूचित

2) क्षेत्रीय योजना – 2021, 2005 में अधिसूचित (इस समय लागू)

टिप्पणी: क्षेत्रीय योजना -2021 की समीक्षा प्रक्रिया में है

 

कार्यात्मक योजना : तैयार करना और अंतिम रुप देना

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड अधिनियम, 1985 की धारा 16 में सहभागी राज्यों ओर संघ शासित क्षेत्रों के उपयुक्त मार्गदर्शन के लिए योजना समिति की सहायता से बोर्ड द्वारा क्षेत्रीय योजना के एक अथवा अधिक तत्वों का परिष्करण करने के लिए कार्यात्मक योजनाओं को तैयार करने के लिए प्रावधान किया गया है।
2005 में क्षेत्रीय योजना-2021 के अधिसूचित होने के पश्चात, बोर्ड ने 2009 में 2032 के परिप्रेक्ष्य वर्ष के लिए परिवहन के संबंध में कार्यात्मक योजना और कार्यात्मक योजना जल पुनर्भरण तैयार की है। इन कार्यात्मक योजनाओं को सहभागी राज्यों को कार्यान्वयन के लिए परिचालित किया गया है।

उप क्षेत्रीय योजना : तैयार करना और अंतिम रुप देना

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड अधिनियम, 1985 के प्रावधानों के अनुसार, प्रत्येक सहभागी राज्य उस राज्य के भीतर उप-क्षेत्र के लिए उप-क्षेत्रीय योजना तैयार करेगा और संघ राज्य क्षेत्र उप क्षेत्र के लिए उप-क्षेत्रीय योजना तैयार करेगा। किसी भी उप-क्षेत्रीय योजना के प्रकाशन से पूर्व, प्रत्येक सहभागी राज्य ऐसी योजना बोर्ड को भेजेगा ताकि बोर्ड यह सुनिश्चित कर सके कि ऐसी योजना क्षेत्रीय योजना के अनुरुप है। उप-क्षेत्रीय योजना की जांच करने के पश्चात बोर्ड उप-क्षेत्रीय योजना के संबंध में अपनी टिप्पणियां तैयार करेगा और इन टिप्पणियों के साथ उप-क्षेत्रीय योजना पर विचार करने के लिए योजना समिति के समक्ष रखेगा। इसके बाद, योजना समिति की टिप्पणियों के साथ उप-क्षेत्रीय योजना को बोर्ड के समक्ष विचार करने और अनुमोदन प्रदान करने के लिए रखी जाती है। बोर्ड का अनुमोदन प्राप्त होने के पश्चात उप-क्षेत्रीय योजना के संबंध में बोर्ड के निर्णयों/टिप्पणियों से उन सहभागी राज्यों को अवगत कराया जाता है, जिनके द्वारा ये योजनाएं भेजी गई थीं। बोर्ड द्वारा की गई टिप्पणियों पर पूरी तरह से विचार करने के पश्चात, सहभागी राज्य यह सुनिश्चित कर लेने के पश्चात कि यह क्षेत्रीय योजना के अनुरुप है, उप-क्षेत्रीय योजना को अंतिम रुप प्रदान कर दिया जाता है। क्षेत्रीय योजना-2001 के नीतिगत ढांचे के भीतर, उप क्षेत्रीय योजनाएं, उत्तर प्रदेश और राजस्थान उप-क्षेत्रों की उप-क्षेत्रीय योजनाओं को संबंधित राज्य सरकारों द्वारा अंतिम रुप प्रदान किया गया था और इनका अनुमोदन बोर्ड द्वारा क्रमश: जून, 1992 में और अप्रैल, 1994 में किया गया था। सितम्बर, 2005 में क्षेत्रीय योजना-2021 की अधिसूचना के पश्चात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान उप-क्षेत्रों के लिए, उप-क्षेत्रीय योजना-2021 के मसौदे पर बोर्ड द्वारा विचार किया गया था और इनके संबंध में टिप्पणियों से क्रमश: उत्तर प्रदेश सरकार, हरियाणा सरकार और राजस्थान सरकार को उनके विचारार्थ अवगत कराया गया था। तत्पश्चात, उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश उप-क्षेत्र के लिए अंतिम उप-क्षेत्रीय योजना-2021 को अनुमोदित किया गया था और इसे प्रकाशित कराया गया था और राजस्थान सरकार ने भी, राजस्थान उप-क्षेत्र (जिला अलवर) के लिए उप-क्षेत्रीय योजना का अनुमोदन कर दिया है। हरियाणा सरकार ने सूचित किया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की हरियाणा उप-क्षेत्र के लिए उप-क्षेत्रीय योजना-2021 को उनके द्वारा अंतिम रुप प्रदान कर दिया गया है। जहां तक, एनसीटी-दिल्ली उप क्षेत्र का संबंध है, बोर्ड द्वारा यह निर्णय किया गया था कि एमपीडी-2021 को ही एनसीटी-दिल्ली के लिए उप-क्षेत्रीय योजना मान लिया जाए। तथापि, एमपीडी में अंतर-राज्यीय सम्बद्धता के मामलों को स्पष्ट रुप से दर्शाना आवश्यक है।

अध्ययन

अध्ययन करने के लिए, बोर्ड प्रमुख समाचार पत्रों में विज्ञापन के द्वारा परामर्शदाताओं से रुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) आमंत्रित करती हैं। इन विज्ञापनों के उत्तर में प्राप्त आवेदनों का एक इस प्रयोजन के लिए गठित समिति द्वारा मूल्यांकन किया गया था और एक संक्षिप्त सूची तैयार की गई थी। शार्ट लिस्टिड आवेदकों/परामर्शदाताओं को विस्तृत अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) जारी किए गए थे और उनसे अनुरोध किया गया था कि वे निर्धारित तारीख के भीतर प्रस्ताव प्रस्तुत कर दें। शार्ट लिस्टिड परामर्शदाताओं से प्राप्त प्रस्तावों (तकनीकी और वित्तीय) का इस प्रयोजन के लिए गठित मूल्यांकन समिति द्वारा मूल्यांकन किया जाता है। तकनीकी और वित्तीय प्रस्तावों के मूल्यांकन के पश्चात मूल्यांकन समिति अध्ययन कार्य प्रदान करने के लिए परामर्शदाता की सिफारिश करती है। इसके बाद, अध्ययन प्रस्ताव और साथ् ही लागत अनुमानों को अनुमोदन के लिए परियोजना जांच एवं निगरानी समूह (पीएसएमजी) के समक्ष रखा जाता है। पीएसएमजी के अनुमोदन के पश्चात परामर्शदाता को अध्ययन का कार्य सौंपा जाता है।

अन्य पहलुओं के लिए निर्णय करने में पालन की जाने वाली प्रक्रिया -

रोजमर्रा के कार्यों के लिए, फाइलों/मामलों के संबंध में सहायक निदेशक (तकनीकी)/ उप निदेशक (तकनीकी) के स्तरों पर कार्रवाई की जाती है और अनुमोदन के लिए संयुक्त निदेशक/मुख्य क्षेत्रीय नियोजक एवं सदस्य सचिव को प्रस्तुत किए जाते हैं। .

भूमिका एवं कार्य